Lako Bodra ki jeevan parichay
ओत् गुरु vs पुन्डि हति 🐘
Ho samaj ke ek prasiddh mahapurush lako bodra ki jeevan parichay-🐘एक दिन की बात है षुर्र षुति ( आत्मशुद्धि ) गोवरि करने के बाद जब ओत् गुरु को उसके चेलों ने ये सवाल पूछ ही लिया।
कि इस षुर्र षुति (आत्मशुद्धि)गोवरि में पुन्डि हतियन ( सफेद हाथी) का जिक्र है।क्या सही में सफेद हाथी भी है।
(सयोब् गा नेन षुर्र षुति गोवरि रेदो पुन्डि हति मेन्तेबु कजी तना। सरेतेगे चि पुन्डि हति कोदो मेन: कोआ ?)
तब ओत् गुरु जी ने मुस्काराते हुए जवाब दिया था—
समय पहुंचने पर खुद ही देख लोगे।
और उसने संकेत में एक और बात कहा था कि उसे एक जंगल में हाथियों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया था।( पर चेले इस बात की गहराई को समझ नहीं पाए)
आखिरकार जब ओत् गुरु कोल लको बोदरा जी जब अपने प्राण त्याग दिए।
और उसे जिस दिन उसे पैतृक गांव (पाहसेया ) में दफनाया गया ।
उसी रात हाथियों के झुंड उसके गांव आ पहुंचे।🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘
और जब सुबह लोगों ने देखा तो वे दंग रह गए।
उन हाथियों के झुंड के बीचों बीच एक विशाल सफेद हाथी मौजूद था।
और उस सफेद हाथी को सारे जंगली हाथियों ने घेर रखा था। और इसी हाथियों के बीचों – बीच वह सफेद हाथी (रोवा रूप सिङवोङ्गा ” ओत गुरु “) धीरे-धीरे जंगल की ओर चला जा रहा था।
इसी से उसके चेलों ने भी मान लिया कि यह सफेद हाथी कोई और नहीं बल्कि ओत् गुरु का ही रुप है।
चूंकि ओत् गुरु ने पहले ही कहा था कि उसे हाथियों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया।