कविता – हो जाति
कविता – हो जाति हो जाति इस देश का एक पुराना जाति है,धान खेत का घास जैसा उसका परिचय है ।मैं आदिम जाति हुँ यह वो बोलता फिरता है,जहाँ गया, कहाँ से आया ? इसे पूछा जाता है । भाषा, धर्म दष्तुर को मुशकिल से बचाया है,दुसरे अपवित्र करेंगे सोच अन्दर ही रखा है ।भीड़…