Heoro porob aitihasik ghatna
Heoro porob aitihasik ghatna – यह पर्व लिटा के समय से चला आता है। जब उनके पिता सुरमी जंगली जानवर बादु के द्वारा मारे गये तो दुनिया वाले उसके वंशज समझा जाए, दुरमी के संतानों ने लिटा को बिना बाप के संतान कह कर चिढ़ाते थे। सुरमी के तीनो संतान मुटु, सेन्ताला और लिटा ने अपना अपना ताकत पिता को खोज लाने के लिए आजमाया। किन्तु लिटा इस काम में कामयाब हुआ उसकी माँ मदेःह ने कोदे और चमा का रोटी बना के दिया। आदोर महीना पूर्णिमा को वह बादु को मारा और सींध समेत लटका पिता का शव लेकर लौटने लगा। देवयोग से उन के तीन बहन पुतंम, सरोः और ओरल जो पक्षी हो गये थे, उसके साथ चलने लगे। थकावट में एक झरना के पास जहाँ उन के माता पिता ने पानी पिया लिटा लेट गया। जब वह निद्र देवी के गोद में चले गये। उन पक्षियों ने रोटी भक्षण किया और तीनों उद्धार हो गये। भाई बहन बनकर अपनी माँ के पास पहुँचे . और अपने पिता के शव को दिखाया। धूम धाम से त्योहार मनाये। होलोड. लड् गूँगहू के पती में बनाया जाता है और इष्ट देव को अराधना किया जाता है। इसी की यादगार में यह हेरोअ; त्योहार मनाया जाता है और तीर धनुष का धारण भी इसी यज्ञ से मिल गया था। आध्यात्मिक दृष्टि कोण से यह पर्व गर्भ फसल की धारण का है।
जो इस गीत से पता चलता है
सीत लिङ्गी गाड़ा ताला रे कुंई बोन गेलेःए हेड्
टिलिड. बुरा हेड् टिलिड. बोगे हेड् दः दो लिङ्गी हेन हम गो बाह बगान ते।
अदोर पूर्णिमा को त्योहार इसीलिए धूमधाम से मनाया जाता है। असली संस्कृति का योग कहलाता है। पाठकों को ध्यान देने की असीम कृपा करेंगे तथा आदर्श युक्त अदोर पूर्णिमा को मनाने का सांस्कृतिक युक्त त्योहार है।