Sarjom ka naam kaise hua hoga
Ho samaj me Sarjom ka naam kaise hua hoga सरजोम पेड़ को हमारे कोल हो,santal aur munda समाज में इसलिए ज्यादा महत्व दिया जाता है। चूंकि वो लुकु उन्दुब (उदय) के समय से पूर्व ही लुकु बुरु में था। ( वारङ दड़े , five power) ( होयो, द: ,सेंगेल , हसा , रिमिल ) सिङवोंगा की इन पांच तत्वों की शक्ति ( वारङ दड़े ☝️) से लुकु का उन्दुब जब हुआ । उस समय इस सरजोम वृक्ष पर लिलि दुमुर मौजूद थे। शिशु लुकु को उसी पेड़ के समीप सिरुङ दुम्बु के पास वोंङ्गा बुरुओं ने सुला दिया था। उसी सिरुङ दुम्बु मे कुछ लेले, अउर दका गिर गए थे। फल स्वरूप उसि लिलि दका का रसि सिरुङ दुम्बु के डोंगा से होते हुए लुकु के मूंह में प्रवेश कर गया। वोंगाबुरू की चलाकि से लुकु का आहार लिलि रसि ही रहा। यहीं का चलन आज नवजात शिशु की मां यदि दूध देने में सक्षम नहीं हो पाती है ।तो उस नवजात बच्चे को शहद अजल किया जाता है। आज भी देखा जाए तो medical Science के तौर पर सबसे कमजोर लोगों को लिलि रसि का सेवन करवाया जाता है। ✍️✍️✍️ और यहीं से यदि हम नामकरण को देखें तो जिस पेड़ में लुकु को षार करने (पालने) का जोम: था (आहार था)। उसे ही षारजोम दरु कहते हैं । अर्थात जोम षार नूउ षार मेन: तेय: गे षारजोम चि (सरजोम) दो। अकाल के समय इस पेड़ में बहुत सारे फल लगने लगते हैं। इसी से आभास होता है कि इस साल रिंगा (अकाल) होने वाला है। और इस परिस्थिति में लोग अपना जोम षार ( लालन-पालन ) इसी पेड़ के फलों से करते हैं। “जोम षार एम देंगा तन दरू गे षारजोम चि सरजोम दो” यह वृक्ष बारिश के बादलों को भी खींचने का काम करती है।और सरजोम वन वाले क्षेत्रों में बारिश अन्य पेड़ो वाले वनों की अपेक्षा अधिक होती है। यह पेड़ पृथ्वी में जिउ जन्तुओं के जोम षार (वनस्पति) को बढ़ाने के लिए बारिश भी करवाती है। चूंकि पृथ्वी पर षार अर्थात घास पूस,पेड़ पौधों के बढ़ने , फलने फूलने, जलीय जीवों के बड़े होने इत्यादि भी बारिश के पानी पर ही अधिक निर्भर करता है। और इस षार को बढ़ाने का काम षारजोम ( सरजोम) पेड़ ही कराती है। और यहीं वजह है कि इस सरजोम को रोपने से यह अधिकतर जीवित नहीं होता है। और जीवित हो भी जाता है तो रोपने वाले या उसके परिवार वालों के जोम षार नू षार ( जोम सकम ) आयु को नुक्सान पहुंचती है। सरजोम दरु का फल , फूल , एवं पत्ता ब्हा गितिल (गर्भाशय) के षार को बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद है। यह पेड़ प्रर्यावरण को षार संतुलित रखने के लिए कार्बनडाईआॅक्साइड को सोख कर, अधिक मात्रा में आॅक्सीजन उत्सर्जित करती है। यह पेड़ प्रर्यावरण को षार करती है। यही कारण है कि सरजोम दरु का नाम से षार + जोह + ओम का पता चलता है। षार ( बढ़ाना, ) जोह ( फल फूल, आहार ) ओम (देना) जिस तरह लुकु के फलने-फूलने (षार)के लिए यह पेड़ आहार (जोह) एवं स्वच्छ हवा देने का (ओम) काम किया । इस पेड़ को लुकु यानि लड़का का प्रतीक माना गया है।और लुकुमि का प्रतीक रूङ को माना गया है।