Transfer of Power Agreement 1947
सत्ता हस्तांतरण समझौता (Transfer of Power Agreement) और भारत की स्वतंत्रता
भूमिका
भारत की आज़ादी के बारे में आम धारणा यह है कि 15 अगस्त 1947 को देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिल गई। लेकिन इतिहास में दर्ज तथ्यों के अनुसार यह केवल स्वतंत्रता का दिन ही नहीं था, बल्कि सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का भी अंतिम चरण था। इसे ही “Transfer of Power Agreement” कहा जाता है। इस प्रक्रिया ने ब्रिटिश शासन से भारतीय नेतृत्व को सत्ता तो सौंपी, लेकिन कुछ शर्तों और व्यवस्थाओं के साथ, जिनका असर आज भी दिखाई देता है।
1. पृष्ठभूमि
1857 के विद्रोह के बाद भारत पर ब्रिटिश राज का सीधा नियंत्रण स्थापित हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939–45) के बाद ब्रिटेन आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो गया।
फरवरी 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया गया, जिनका काम सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी करना था।
2. Indian Independence Act, 1947
ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को “Indian Independence Act” पारित किया।
इसमें तय किया गया कि: भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाए जाएंगे। दोनों को आंतरिक शासन में पूर्ण स्वतंत्रता होगी, लेकिन ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का हिस्सा रहेंगे।ब्रिटिश संसद का भारत पर कोई कानून लागू नहीं होगा, लेकिन ब्रिटिश क्राउन को प्रतीकात्मक मान्यता दी जाएगी।
3. Transfer of Power Agreement – क्या था? यह वह औपचारिक प्रक्रिया थी जिसमें: ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता भारतीय नेताओं को सौंपी। पंडित नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना जैसे नेताओं ने इसे स्वीकार किया। इस प्रक्रिया के तहत भारत ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का सदस्य बना रहा, और प्रशासनिक ढांचा वही रखा गया जो अंग्रेजों ने बनाया था।
महत्वपूर्ण अंतर: Independence (स्वतंत्रता) = कानूनी रूप से ब्रिटिश संसद से आज़ादी। Transfer of Power (सत्ता हस्तांतरण) = ब्रिटिश प्रशासन से भारतीय प्रशासन को अधिकार सौंपना।
4. डोमिनियन स्टेटस – अधीनता या स्वतंत्रता? – “Dominion” का अर्थ था — एक स्वशासी राष्ट्र जो ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का सदस्य हो।
भारत 26 जनवरी 1950 तक Dominion रहा, जब संविधान लागू होने के साथ वह पूर्ण गणराज्य बना।
5. गांधी जी का दृष्टिकोण – महात्मा गांधी विभाजन और सत्ता हस्तांतरण की शर्तों से संतुष्ट नहीं थे।
14 अगस्त 1947 की रात वे दिल्ली में नहीं, बल्कि नोआखाली (बंगाल) में थे।
उन्होंने कहा था कि यह आज़ादी केवल राजनीतिक सत्ता का हस्तांतरण है, जबकि असली स्वतंत्रता तब होगी जब देश सामाजिक, आर्थिक और नैतिक रूप से भी स्वावलंबी बनेगा।
6. समझौते की प्रमुख शर्तें कुछ ऐतिहासिक स्रोतों और शोधों के अनुसार इस हस्तांतरण में: ब्रिटिश कंपनियों के हित सुरक्षित रखे गए। अंग्रेजी भाषा को प्रशासन, न्यायपालिका और शिक्षा में बरकरार रखा गया। वेस्टमिन्स्टर संसदीय प्रणाली अपनाई गई। आर्थिक नीतियां और व्यापारिक समझौते ब्रिटिश ढांचे पर आधारित रखे गए।
7. प्रभाव – आज तक क्यों चर्चा में है? – आज भी भारतीय प्रशासन, कानून और संसद का ढांचा ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है। अंग्रेजी का आधिपत्य जारी है। कई औपनिवेशिक संस्थाएं और प्रथाएं (जैसे रेलवे प्रशासनिक संरचना, नौकरशाही) जस की तस हैं।
निष्कर्ष – 14 अगस्त 1947 की रात और 15 अगस्त का दिन केवल स्वतंत्रता का उत्सव नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और प्रशासनिक समझौते का परिणाम था। भारतीय स्वतंत्रता एक लंबी लड़ाई का नतीजा जरूर थी, लेकिन उसकी पहली अवस्था “Dominion” के रूप में आई।
यह समझना आवश्यक है कि सच्ची आज़ादी केवल सत्ता बदलने से नहीं, बल्कि व्यवस्था बदलने से आती है।
निष्कर्ष (व्यावहारिक दृष्टिकोण): बिंदु तथ्यों के आधार पर स्पष्ट मत
क्या स्वतंत्रता नहीं आई? आज़ादी कानूनी रूप से Indian Independence Act के माध्यम से मिली।
क्या केवल सत्ता हस्तांतरित हुई? हां, सत्ता का हस्तांतरण हुआ, लेकिन इसे स्वतंत्रता से अलग नहीं समझना चाहिए—ये दोनों एक-दूसरे से जुड़े थे।
क्या Dominion मतलब ब्रिटिश अधीनता? नहीं; Dominion वह प्रशासनिक श्रेणी थी, जिसमें आंतरिक सार्वभौमिकता थी।
गांधी जी ने स्वतंत्रता को नकारा? नहीं पूरी तरह; उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विभाजन और असामाजिक हिंसा उनकी मंशा नहीं थे।
📌 लेखक की टिप्पणी: इतिहास को समझना और सही संदर्भ में देखना जरूरी है। “Transfer of Power Agreement” हमें यह सिखाता है कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक स्वतंत्रता भी आवश्यक है।