Warang chiti lipi 32 script
वारङ चिति लिपि 32 अक्षर ही क्यों? तर्कसंगत जवाब।दुनिया की सभी प्रमुख लिपियों में अक्षरों की संख्या ऐतिहासिक और भाषाई जरूरतों पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए देवनागरी लिपि में 52 अक्षर हैं और रोमन लिपि में 26। यदि कोई पूछे कि क्यों 52 या 26 अक्षर हैं, कम या ज्यादा क्यों नहीं, तो इसका कोई निश्चित वैज्ञानिक उत्तर नहीं दिया जा सकता। यह केवल ऐतिहासिक और भाषाई विकास का परिणाम है।
लेकिन वारङ चिति लिपि पूरी तरह अलग है। इसकी 32 अक्षरों की संरचना न केवल भाषाई, बल्कि जैविक और सांस्कृतिक आधार पर भी स्थापित है। इंसान के दांतों की संख्या 32 होती है और रीढ़ की हड्डी के जोड़ भी 32 होते हैं। कोल वंश में सांस्कृतिक प्रतीकवाद में भी 32 का महत्व है। इसलिए वारङ चिति लिपि में 32 अक्षर ही पर्याप्त हैं। इससे कम अक्षर शब्दों और भावनाओं को व्यक्त करने में अपर्याप्त होंगे और ज्यादा अक्षर असंगठित या अनावश्यक हो जाते हैं।
32 अक्षरों की लिपि से आस्ट्रोएशियाटिक भाषाओं के शब्द पूरी तरह लिखे जा सकते हैं। इसके अलावा यह लिपि दुनिया की किसी भी भाषा के शब्दों को लिखने में सक्षम है। इस दृष्टिकोण से कहा जा सकता है कि हर चिति यानी अक्षर मानव शरीर के किसी अंग या संरचना का प्रतीक है। प्रत्येक अक्षर सिर, पीठ, पेट, हड्डी, मांसपेशी, अंग-प्रत्यंग आदि का प्रतिनिधित्व करता है और सभी 32 अक्षर मिलकर पूरे शरीर और उसकी संरचना का चित्रण करते हैं।
लिपि केवल अक्षरों की संरचना नहीं है, बल्कि इसमें जीवन और ऊर्जा प्रवाहित होती है। जैसे सांस जीवन देती है, वैसे ही लिपि शब्दों में अर्थ, ध्वनि और जीवन संचारित करती है। चिति अक्षर है, जो शरीर का प्रतीक है और लिपि स्वर और सांस है, जो जीवन शक्ति का प्रतीक है। अक्षर और लिपि मिलकर जीवन और भाषा दोनों का निर्माण करते हैं।
वारङ चिति लिपि विज्ञान, जीवन और संस्कृति का संगम है। अक्षर शरीर हैं और लिपि जीवन और ऊर्जा। 32 अक्षर न केवल पर्याप्त हैं, बल्कि यह मानव जीवन और भाषा के सभी पहलुओं को व्यक्त करने में सक्षम हैं। इस प्रकार यह लिपि मानव शरीर और विश्वव्यापी भाषा का प्रतीक बनती है।