What is a tree according to Ho philosophy
हो’ दर्शन के अनुसार “दरू” क्या है❓ आदिवासी (कोल ) हो’ भाषा ( Human Language ) में पेड़🌳 को ” दरु ” कहा जाता है। इस🌳 दरु शब्द को वारङ चिति लिपि ही परिभाषित कर सकती है
🌳 दरु शब्द का अर्थ जानने के लिए।
☝️अक्षर नाम सह
☝️ अक्षरार्थ
☝️ शब्द सन्धि
सबसे पहले
(१☝️) हम दरु शब्द को वारङ चिति लिपि में अक्षर सह समझ सकते हैं।
वारङ चिति लिपि में दरु शब्द अक्षर सह ,
द: + हर्र + यु:उ = दरु ।
द: = पानी , जल
हर्र = संचालित करना, चलाना , संश्लेषण करना।
यु:उ = पुनः नीचे गिरवाना ।
वारङ चिति लिपि के इन अक्षरों के नाम से यह पुष्टि होती है कि हो भाषा में दरु🌳 नाम
(द:)पानी को जड़ो के माध्यम से खींच कर अपने अंग अंग में (हर्र)संचालित करती है ।
और यह दरु के माध्यम से भी पानी के अंश वाष्पित होकर बादलों का निर्माण करने में मदद करती है।
और पुन: यही 🌳दरु बादलों को खींच कर बारिश के रुप में जल के कणों को पृथ्वी पर (यु:उ) गिरवाने का काम करती है।
(२☝️) अब हम अक्षरार्थ पर जाते हैं।
तो यहां दरु
द: + हर्र + यु:उ्
द: अक्षर का अर्थ = पानी, कुल्ला करने वाला, संगम होने वाली , द्वीप, सात महाद्वीप इत्यादि है।
💎मैंने यहां द: के एक अर्थ पानी को चुना है।
जैसे द: = पानी।
हर्र = इर्र , इनिर्र,
💎 हर्र का अर्थ मैने इर्र को लिया है।
इर्र (रगड़ रगड़ कर अलग करना।)
इर्र उस क्रिया को कहा जाता है जिसमे दो चीजें रगड़ खाती है।
जैसे
१.दिरि रे सुन्टि: को इर्र लेए कोम उलि लं लयर तेकोआ गा ।( पत्थर में सीप को रगड़ लाओ आम छीलेंगे।)
२.मचीस इर्रेम
माचिस को तिल्ली से रगड़ो।
३.बबा इर्र
धान को काटना ।
जिसमें दारांती के रगड़ से धान के फसल को अलग किया जाता है।
💎 हम अब यु:उ् अक्षर के अर्थ जोरो को लेते है
जोरो💧 किसि द्रव के गिरने / रिसने की क्रिया को कहते हैं।
यु:उ् = जोरो
अक्षरार्थ ,
द: = (द:अ् ) पानी
हर्र = ( इर्र केन्ते) रगड़कर
यु:उ् = ( जोरो) नीचे गिरना।
यहां अक्षरार्थ यह मालूम पड़ता है,🌳 दरु ☁️☁️जलकण के बादलों(द:अ्) को खींचकर रगड़(इर्र)🌩️⛈️ पैदा करती है जिसके फलस्वरूप जलकण धरती में बारिश बनकर (जोरो)⛈️🌧️ गिरती है।
🌈⛈️⚡जिसका साक्षात प्रमाण हम देख सकते हैं कि बादलों के रगड़न अत्याधिक होने से निकलने वाली बिजली⛈️🌩️⚡दरु🌳 (पेड़ो ) पर ही गिरती है।
(३☝️) अब हम शब्द संन्धि को देखें तो
🌳 दरु
द:+ रु
द: का अर्थ जल
रु का अर्थ हुन्डिन तेय: , रुआ उरान तेय: , स्तम्बन और पुनरचक्रण से है।
जल का टहराव एवं पुनरचक्रण धरती पर (दरु)🌳पेड़ो के माध्यम से ही अस्तित्व है।