Kol Ho jati ka samanya parichay
हो कोल जाति का सामान्य परिचय :-‘हो’ झारखण्ड राज्य की प्रमुख जनजाति है। यह झारखण्ड राज्य की चौथी सबसे बड़ी जनजाति है। मुख्य रूप से ये सिंहभूम जिले में निवास करते हैं। सिंहभूम जिला का क्षेत्रफल 9906.9 वर्ग किलोमीटर है तथा 23 प्रखण्ड हैं। यह जिला लगभग 85.2° पूर्व से 89.2° पूर्वी देशान्तर तथा 22° उत्तरी आक्षांश से 22.9° उत्तरी अक्षांश के मध्य अवस्थित है।’ बिहार एवं उड़ीसा राज्य में 1981 की जनगणना के अनुसार हो बोलने वालों की जनसंख्या 8,02000 है तथा पश्चिमी सिंहभूम की कुल जनसंख्या 1991 की जनगणना के अनुसार 1788614 है जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी 974700 है। सिंहभूम जिले के कोल्हान एवं पोड़ाहाट क्षेत्र में सम्पूर्ण जनजाति का लगभग 99.8% (4,53,988) हो जनजाति के लोग निवास करते हैं। डॉ. जानुम सिंह पिंगुवा ने ‘कोल्हान की ‘हो’ जाति के पर्व-त्योहार एवं कृषि कार्य” नामक पुस्तक की भूमिका में सिंहभूम जिले में इनकी जनसंख्या लगभग 6,00000 तथा उड़ीसा में करीब 4,00000 बतलाया है।
पुराने सिंहभूम जिले का विस्तार भौगोलिक दृष्टि से 21.59 उत्तर अक्षांश और 85.2° तथा 85.50° पूर्वी अक्षांश के मध्य अवस्थित है। इसके उत्तरी भाग में राँची जिला, दक्षिण में उड़ीसा, पूर्व में बंगाल तथा पश्चिम में उड़ीसा और राँची जिला फैला है। 1971 ई. की जनगणना के अनुसार हो जाति की कुल आबादी 5,05,172 लाख है जिसका 95 प्रतिशत लोग सिंहभूम जिले में निवास करते हैं। झारखण्ड में ‘हो’ बोलने वालों की संख्या 5,36,784 लाख है जिसमें 5,36,433 लाख लोग सिंहभूम में निवास करते हैं।
हो शब्द की उत्पत्ति
हो शब्द की उत्पत्ति के संबंध में यह माना जाता है कि हो की उत्पत्ति एक शब्द ‘हो’ से हुई है। होड़मो’ एक शब्द है जिसकी उत्पत्ति होड़ से हुई है। होड़ का संक्षिप्त ध्वनि ‘हो’ है। हो का तात्पर्य मनुष्य या आदमी से है /
हो संथाली मुंडारी
हो होड़ होड़ो
यहाँ प्रयत्न लाघव के कारण मुण्डारी होड़ो, संताली होड़ से हो में हो गया। वास्तव में हो ही मूल शब्द है। हो से होड़ो तथा होड़ शब्द बना है।
स्रोत – हो भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन
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