Wilkinson Rules 1837
गवर्नर जेनरल के एजेन्ट के मातहत पड़ने वाले क्षेनों में लोक न्याय मुहैया करने के लिये रेगुलेशन सन् 1833 XIII के अन्तर्गत नियम-कानून दो बातें
इतिहासकारों का कहना है कि ‘हो’ आदिवासी वह जाति रही है जिसने कभी भी दासता स्वीकार नहीं की। जब सारा भारत गुलामी की जंजीर में जकड़ा था तब केवल ‘हो’ समुदाय ही आजादी की सांस ले रहा था। ‘हो’ आदिवासियों को कई बार अंग्रेजों ने अपने अधीन रखने का प्रयास किया परंतु हर बार उन्हें करारा जवाब मिला। सबसे भयानक विद्रोह 1831-32 का था जिसे “कोल विद्रोह” के नाम से जाना जाता है। कोल विद्रोह के परिणाम स्वरूप 1831 का बंगाल रेगुलेशन 13, दिनांक 2 दिसम्बर 1833 को गवर्नर जेनरल इन काउंसिल से पारित हुआ। इसी के तहत सन् 1837 को विल्किनसन-रूल्स बने। इस नियम-कानून का मुख्य उद्देश्य था इस क्षेत्र में सदियों से चले आ रहे पारम्परिक व्यवस्था के माध्यम से अच्छा प्रशासन देना और शीघ्र ही सामान्य और सस्ता न्याय दिलाना। इसके साथ ही यहां की जमीन को गैर-आदिवासियों के हाथों में जाने से बचाना। विल्किनसन-रूल्स में 31 नियम-कानून बनाये गये हैं जिनका वर्णन आगे किया गया है। यह मूलतः अंग्रेजी का हिन्दी रूपान्तर है।
देवेन्द्र नाथ हासदा
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Willkinson Rule of Kolhan Estate
संवैधानिक दृष्टि में विल्किंसन-रूल
संवैधानिक दृष्टि में विल्किन्सन्स नियम बंगाल अधिनियम संख्या 13 सन् 1833 की धारा 5 के अनुसार सन् 1837 को विलकिन्सन नियम बना। इस नियम के द्वारा सामाजिक रीति-रिवाज जो कानून की तरह मान्य है, जिसको सर्व साधारण कानून कहा जाता है, मान्यता दी गयी है। कोल्हान में सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार दिवानी मामलों की विचार तीन या पांच पंच द्वारा होता हैं इसी पंच क राय के अनुसार कोल्हान क्षेत्र में कोल्हान अधीक्षक, उपायुक्त तथा आयुक्त के न्यायालयों में आज तक न्याय होता आ रहा है। इसीलिये सिविल प्रोसीजियोर कोड कोल्हान में लागू नहीं है, क्योंकि संविधान के आर्टिल 13 के अनुसार सामाजिक रीति-रिवाज जो कानून के रूप में लागू है, उसमें हस्तक्षेप करने का प्रतिबन्ध है। इस लिये विधान सभा तथा संसद विल्किन्सन्स नियम में हस्ताक्षेप नहीं किया तथा आज तक मूल रूप में कोल्हान क्षेत्र में लागू है। इस प्रकार से विलकिन्सन नियम शासन पद्धति को राज्य सरकार या भारत सरकार हटाया संशोधन नहीं कर सकती है। क्यों कि संविधान के आर्टिकल 13 का प्रतिबन्ध है। विल्किन्सन्स नियम बनने के बाद मानकी मुण्डा को सन् 1838 में हुकुकनामा दिया गया जिसमें उनके अधिकार तथा कर्त्तव्यों के बारे लिखा हुआ है। इन को कड़ी हिदायत दी गई है कि वे बराबर हुकुकनामा के अनुसार कार्य करें अन्यथा हुकुकनाम उनसे वापस ले ली जायगी और अन्य लोगों को दी जायगी। इसीलिये मानकी-मुण्डा पद तभी तक वंश परंपरागत है जबतक उनमें योग्यता रहती है तथा हुकुकनामा के अनुसार कार्य करते हैं। मानकी-मुण्डा का चयन चुनाव पद्धति से नहीं होता है बल्कि सामाजिक रीति-रिवाज को जानने वालों के बीच से चयन होता है। हुकुकनामा के अनुसार मानकी को पुलिस दरोगा का मुण्डा को हवलदार का, डाकुया को एक सिपाही का अधिकार है। विल्किन्सन्स नियम 20 के अनुसार अदालत मानकी-मुण्डा लोगों को ही सरकारी पंच के रूप में दिवानी मामलों के पंच विचार के वास्ते चुनती है।
इन पंचों का फैसला सर्वोपरि होता है जिस के विरुद्ध अपील भी नहीं हो सकती है। मानकी-मुण्डा लोगों को मालगुजारी अदाय करने, परती जमीन को बन्दोबस्ती करने, सड़क किनारे सर्व साधारण स्थानों पर वृक्षों तथा ग्रामीण वनों की देखभाल करने का कार्य भार दिया गया है। इसके अलावे स्कूल भवन, ग्रामीण रास्ता, नहर आदि को प्रजाओं द्वारा थोड़ा बहुत श्रमदान के माध्यम से मरम्मत करने का अधिकार है। गांव के छोट-मोटे झगड़ों का फैसला गांव में करने का अधिकार है। इस प्रकार से मानकी-मुण्डा लोगों को रेभन्यु, पुलिस तथा न्याय तीनों का अधिकार दिये गये हैं।
सदर्भ :- कोल्हान की चिनगारी (भाग एक), अश्विनी कुमार सवैयां (वकील)
दो शब्द
हो दिसुम (वर्त्तमान कोल्हान) में मेजर रफसेज अपनी जान हथेली पर रखकर अपनी जीवन के सब से बड़ा खतरा मोलकर 18 मार्च 1820 को अपनी पैदल सेना और दो तोपों के साथ हो दिसुम में प्रवेश किया था। हो दिसुम में प्रवेश करने के साथ ही अंग्रेजों और लड़ाकू हो लोगों के बीच धमासान युद्ध 26 मार्च 1820 से 1837 तक लगातार 17 वर्षों तक चलता रहा। हमेशा अपनी दृढ़ता और मौत को सर लटकाये लेकर कभी पराजय को नहीं स्वीकारने वाले लड़ाकू हो लोगों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे। मेजर रफसेज अपनी पराजय को देखते हुए बाहर से फौज बुला कर हो दिसुम पर चारों ओर से हमला कर लड़ाकु हो लोगों को मजबूर कर दिया और पांच शर्तों के साथ समझौता कराके “पंचा” (प्रति हल) मालगुजारी देने के लिए बाध्य किया। 14 जनवरी 1822 को रफसेज के देहांत के बाद हो दिसुम के लड़ाकु हो पुनः स्वतंत्र हो गये और 1821 के समझौता का अवहेलना करते हुए जो पंचा देने से इन्कार कर दिया गर्वनर जेनरल बिलयम बेन्टिक ने नागपुर के मराठा प्रदेश से कैप्टन थॉमस विलकिन्सन को छोटानागपुर का पोलिटिकल एजेन्ट नियुक्त किया। विलकिन्सन ने 8 जुन 1833 से अपने अभियान शुरू करते हुए साम, दाम, दंड, भेद को अपनाते हुए हो दिसुम के मानकी-मुण्डाओं से सम्पर्क किया जैतगढ़ बरकेला बड़पीड़ और सरायकेला में संसद ॥मेलन बुलाया। इस अभियान में विलकिन्सन को 19 नवम्बर 1837 को सिरिंगसिया पाटी में हो लोगों के साथ घमाशान युद्ध का सामना करना पड़ा। विलकिन्सन ने बाहर से विशाल फौज बुला कर बन्दूक और तोपों के बल पर हो दिसुम पर फिर से कब्जा किया।
अभियान के क्रम में लड़ाकु हो लोगों की वीरता दृढ़ता त्याग बलिदान और मौत को सर लटकाये कभी पराजय को नहीं स्वीकारने जैसे गुणों को देखकर विलकिन्सन सोचने के लिए मजबूर हो गया और उन में मानवता जाग गया। अपने विचारों को ब्रिटीश सरकार के यहां भेजा मंजूरी मिलने पर हो दिसुम के सामाजिक सांस्कृतिक एंव सुप्रशासन का अध्ययन कर 31 नियमों का एक सूची बनाई जिस को विलकिन्सन नियम कहा गया हैं इस नियम की स्वीकृति केन्द्र सरकार अर्थात गर्वनर-जेनरल इन कौन्सिल द्वारा सन् 1837 ई० को मिली। स्वीकृति मिलने के पश्चात इस नियम को आदिवासी बहुल क्षेत्र में लागू किया गया और कोल्हान इस्टेट का निर्माण कर हो दिसुम का नाम कोल्हान गवर्नमेन्ट इस्टेट रखा गयां प्रशासनिक देख-रेख के लिए कैप्टन टिकेल को सहायक एजेन्ट नियुक्त किया गया और चाईबासा को मुख्यालय बनाया गया। व्रर्त्तमान समय में विलकिन्सन नियम सिर्फ कोल्हान में ही लागू है।
विलकिन्सन नियम के विधि-व्यवस्था के तहत सन् 1874 ई0 में आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए सेडुल डिस्ट्रिक एक्ट 1874 बनाया गया इस एक्ट के सेकशन -3 के तहत् कोल्हान को गर्वनर जेनरल इस कौन्सिल की अधिसूचना संख्या 1393 दिनांक 21 अक्टुबर -1881 द्वारा प्रथम सेड्यूल्ड एरिया घोषित करके संकशन – 5 द्वारा लोकल गवर्नमेन्ट का मान्यता दिया गया।
भारत आजाद होने के बाद कोल्हान गवर्नमेन्ट-इस्टेट को भारत आजादी अधिनियम 1947 सेकशन 7 सी में एक्सट्रा टेरी टोरीयल एक्ट के रूप में रखा गया है और भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिनांक 26 जनवरी 1950 ई0 से सेडुल्ड एरिया घोषित किया हुआ क्षेत्र है। सन् 1953 ई. में यह अविभाजित बिहार सरकार के राज्यपाल का अधिसूचना संख्या A/AB & 303/53/3533/J दिनांक 26 अगस्त 1953 द्वारा संविधान के पांचवी अनुसूची के प्राग्राफ 5 (1) में सूची बद्ध किया गया है। वर्त्तमान कोल्हान में विलकिन्सन नियम बिहार सिविल रेगुलेटिंग एंव वेलेडेटिंग एक्ट 1978 के रूप में लागू है। अंत में कहा जा सकता है विलकिन्सन नियम वीरता दृढ़ता बलिदान और त्याग का परिणाम है। इस नियम का पालन करना हम-सबों का कर्तव्य है।