‘हो’ मौखिक साहित्य
ho maukhik saahity हो’ मौखिक साहित्य : ho maukhik saahity किसी भी क्षेत्र, जाति या जनजाति के लोक साहित्य की मौखिक परम्परा अनादि काल से चलती आती है। हम जानते हैं कि वेदकालीन ऋचाओं की एक लम्बी मौखिक परम्परा रही है और इसी कारण वेदों को “श्रुति” भी कहा गया है। उसी प्रकार विभिन्न जनजातियों…