Kol Ho bhaasha vishv kee praacheen bhaashaon mein se ek hai
Ho bhaasha vishv kee praacheen bhaashaon mein se ek hai कोलहो’ मुण्डा भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है । *इतिहास गवाह है कि ब्राह्मणो ने भारत में आकर यहां के आदिवासियों से ही लिखना पढ़ना एवं बहुत कुछ सीखा था। एवं उन्होने यहां के आदिवासी दर्शन ( philosophy) को देखते हुए वेद आदि को लिखित रूप दिया।
आज देखा जाए तो उनके और हमारे बहुत से शब्द मिलते जुलते हैं।
बहुत से शोधकर्ताओं ने कहा है —–
“कोलहो’ मुण्डा भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है ।हो’ ( मानव ) भाषा सभी भाषाओं की जननी है।”
इसलिए मैं यहां ये आपको कुछkol तर्क दे सकता हूं। ताकि आपको समझने में कोइ परेशानी न हो।
मैं कुछ ऐसे शब्दों को भी पेश करुंगा।
जैसे
१..(मोन दिर) — अलोम बोरोया मोन गे दिरे कम ओकोयो कको रुस: मेया। ( जिबोन केड़े:या कम )
अम: मोन दिरे लगिड् ते वोङ्गा बुरुइ में ।
पर इस पद्धति को दिकुओ ने मन्दिर का रूप दे दिया।
२..”ओ’ङ सेबा:ए नमा ”
ओ’ङ — सिङवोङ्गा
सिङवोङ्गा सेबा:ए नम गेया।
दिकुओं ने इस शब्द को “ओम् शिवाय नमः” कह डाला।
३… “ओ’ङ नमः सेबा ”
सिङवोङ्गा नमः सेबा
इसको भी दिकुओं ने “ओम् नमः शिवाय” कह डाला।
४… “षोयतैम सेबैम सुनदुरंङेम”
हमारी संस्कृति के अनुसार पोरोब पोनइ में बोंगा टयड्
(षोयतय में) पहले साफ किया जाता है।
( सेबय में ) फिर सेबा- षड़ा किया जाता है।
( सुन्दुरंङेमे ) और फिर सामुहिक नृत्य किया जाता है।
यही शब्द हिन्दुओं के अनुसार” सत्यम शिवम् सुंदरम ” कहा गया है।
५… मोन सा वोंङ्गा ( system )
मोन – मन
सा – जोड़ना
मन को अध्यात्मिक ज्ञान से ( सा )जोड़ने में मदद करने वाली शक्ति को (मोनसा वोङ्गा ) कहते हैं।
इसे अन्य लोगों ने मनसा देवी या मनसा मां भी कह दिया है।
हिन्दू लोगों ने हमारे दर्शन को नकल तो कर लिया लेकिन वे मूल तत्व से लोगों को भटका दिए ।या फिर खुद भी भटक गए होंगे।
१. आज हिन्दू धर्म वाले बहुत से देवी देवताओं को आधार
दे कर पूजते हैं। इसमें अधिकतर काल्पनिकता ही भरी है।
जो सत्य है ही नहीं।
२..पर उन्होंने कहीं हमारे आदिवासी दर्शन को भी नकल किया है। और उसे छुपाने का बहुत प्रयास किया है।