(Jonom Dostur) हो समाज का जन्म संस्कार संक्षेप में
- Jonom Dostur जन्मजात (जन्म संस्कार) – प्रसव के तीसरे दिन नियर(पहला कमान) से कार्य उपयोग माने जा सकते हैं /
- ब्हागितिल(बच्चेदानी) घर के पीठ कुन्डम मुतुल में दपना ने का नियम है वर्तमान बहुत सारी स्त्रियां का अस्पताल में प्रसव हो जाते हैं यह संस्कृति का विरुध्द कहा जा सकता है /
- प्रथम संस्करण से ही सर सिदुब (तीर रखना) की कार्योपयोग किया जावें/ शिशु कि नाभी गिरने के नवमें दिन तबा: चटु (नरता) का कार्यक्रम उचित माना गया है “जिसे जुटिड् नियर भी कहा जा सकता है /
- 21 दिन में तिकि एड़: (एक्कसिया) अनिवार्य है सांस्कारिक व्यक्ति ही इस संस्कार के भागी माने जा सकते है एवं नमकारण किया जाता है /
- साकि सिर्पा (उपहार) समय और परिस्थिति के अनुसार लेन देन होता है/
- स्रोत – Kol Rules
- जन्म-जात (जन्म-संस्कार)
- 1. प्रसव के तीसरे दिन “नियर” (प्रथम कमान) से पिता कार्योपयोग माने जा सकते हैं।
- 2. प्रथम संस्कार से ही “सर-सिदुब” (तीर रखना) की संस्कृति कार्योपयोग किया जाए।
- 3. प्रसव के नौवें दिन शिशु की नाभी गिरने के बाद तबः-चाटु (नरता) का कार्यक्रम उचित है। और उसी दिन से माँ सिन्दुर दान को कर्मयोग करेगी।
- 4. नरता से 21वीं दिन ‘तिकिएड़ः’ (एक्कीसिया) अनिवार्य है।
- 5. कार्यक्रम का सम्मान अल्ता और सिन्दुर दान से बड़प्पन दिया जावे।
- 6. संस्कारित व्यक्ति ही इस संस्कार कार्यक्रम के भागी माने जा सकते हैं।
- 7. आदि संस्कृति के योग पर नामकरण का कार्य सम्पन्न उचित है।
- 8. यह जन्म उत्सव खूब शुद्धि और धूम-धाम से मनाना अति आवश्यक है।
- 9. समय और परिस्थिति के अनुसार ‘साखीसिर्पा’ (उपहार) शक्तिस्वरूप लेन-देन किया जा सकता है।
- सौजन्य से – कोल रुल