It is our duty to preserve Sasan Diri
It is our duty to preserve Sasan Diri हमारे समाज की आत्मा हमारी संस्कृति और परंपराओं में बसी हुई है। इन्हीं परंपराओं में सबसे महत्वपूर्ण है ससन दिरि। यह केवल एक पत्थर नहीं है, बल्कि हमारे स्वशासन व्यवस्था, खुंटकट्टी की पहचान और हमारी सामूहिक विरासत का प्रमाण है।
ससन या शासन का मतलब है कि हमारे पूर्वजों ने इस धरती पर शासन किया था।
यह हमारी स्वशासन प्रणाली और समाज में समानता, न्याय व परंपरा का प्रतीक है।
ससन दिरि खुंटकट्टी का असली चिन्ह है, जो हमें हमारी जड़ों और पूर्वजों से जोड़ता है।
आज की समस्या :- दुर्भाग्य से देखा जा रहा है कि हमारे समाज के कुछ लोग, खासकर नौकरीपेशा वर्ग, श्मशान घाट में ससन दिरि रखने की परंपरा को छोड़कर उसकी जगह पक्का निर्माण या टाइल्स बिछा रहे हैं। यह प्रवृत्ति केवल परंपरा का तिरस्कार नहीं है, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
ससन दिरि खोने के बाद का भारी नुकसान
आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों की परंपरा और शासन व्यवस्था से अनजान हो जाएगी।
खुंटकट्टी की पहचान धीरे-धीरे मिट जाएगी और हम अपने ही इतिहास से कट जाएंगे।
समाज की एकता, सांस्कृतिक बंधन और स्वशासन की मूल भावना कमजोर हो जाएगी।
भावी पीढ़ी केवल आधुनिक ढांचे देखेगी, पर अपनी जड़ों की खोज नहीं कर पाएगी।
हमारा दायित्व :- यदि हम आज भी बचे हुए हैं तो वह ससन दिरि की परंपरा से ही। यही हमारी पहचान है और यही हमें दुनिया में अलग बनाती है। इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
अतः समाज के सभी लोगों से करबद्ध निवेदन है—
1. श्मशान घाट में ससन दिरि की परंपरा को हर हाल में बनाए रखें।
2. पक्का या टाइल्स का निर्माण करने से बचें।
3. आने वाली पीढ़ियों को बताएं कि ससन दिरि ही हमारी जड़ और पहचान है।
4. अपने बच्चों और युवाओं को इसके महत्व से अवगत कराएं।
हमारा अस्तित्व ससन दिरि से जुड़ा है। यदि हम इसे खो देंगे, तो अपनी पहचान भी खो बैठेंगे।