Kolom Bonga ka mahatva
Ho Samaj Kolom Bonga ka mahatva-यों तो हो किसान भाई द्वारा फसल कटाई के बाद एक जगह मन्डी अथवा गोदाम बनाया जाता है जिसे कोलोम कहा जाता है। कोलोम को साफ सुथरा परिष्कृत किया जाता है। इकट्टा हुआ फसल धान एवं बीज को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है। इष्ट देव जैसे सांस्कृतिक से जुड़े देवों को ही खलिहान में दिन रात सुरक्षा हेतु इली धूवा-धूप चढ़ाया जाता है, धान दौनी होने से ही देवों को खुश करने एवं बाहर के शैतान भूत प्रेतों से रक्षा के लिए यह विश्वास रखा जाता है। गंदा आदमी या अपरिष्कृत लोगों खलिहान कोलोम के अंदर आना मना होता है। इस प्रकार खास कर इसे लक्ष्मी पूजा ही समझा जाता है। संग्रह किया हुआ समाप्त होने पर अर्थात दौनी तथा पीटाई समाप्ति होने पर अपना अपना कोलोम से दैवों को विदाई दिया जाता है। इसे कोलोम बोंगा कहा जाता है एक प्रकार का त्योहार ही है, खुशियाली से खान पान परिवार सहित मनाया जाता है और अपना कुटुम्ब या पड़ोसियों के साथ हेल मेल कर अड़ोस पड़ोस खुशियाली मनाया जाता है। वर्ष में एक बार धान काटी होने के बाद घर में यह कोलोम बोंगा मनाया जाता है। तात्पर्य लक्ष्मी ही का पूजा है। इसीलिए सम्पति के लिए घर-घर में लक्ष्मी को बुलाया जाता है। लक्ष्मी पूजा ही मनाया जाता है एवं विशेष पूजा ही है।
स्रोत – कोल हो’ संस्कृति(दोष्तुर) दर्पण