हो समाज गोनो:ए दोस्तुर(मरण संस्कार)
Gonoye Dostur हो समाज गोनो:ए दोस्तुर मरण संस्कार:- 1. प्रत्येक प्राणी, प्रत्येक प्राणी का संस्कारिक अधिकारी है। 2. प्रत्येक मानव, प्रत्येक मानव से संबंध रखता है। 3. खून-रंग का फर्क रखना असभ्यता है। 4. यथा सम्भव शीघ्रता से संस्कार व्यवस्था होना ही सभ्यता का अर्थ रखता है। 5. श्मशान स्थल किसी नियत स्थान पर और…